तेजी से बदल रहा है बाल रंगमंच के विषयों का कलेवर

(मनीषसेन)नयीदिल्ली,25नवंबर(भाषा)बालरंगमंचकीविषयवस्तुमेंसमयकेसाथबदलावदेखाजारहाहै।अबयहांबच्चोंकेनाटकोंसेहटकरलैंगिकरूढ़िवादिता,महिलासशक्तिकरणऔरसामाजिकन्यायजैसेविषयोंकोभीजगहमिलनेलगीहै।राष्ट्रीयनाट्यविद्यालयमेंथियेटरइनएजुकेशनकंपनी(टी.आई.ई.)केप्रमुखअब्दुललतीफखतानानेपीटीआई-भाषाकोबताया,"जमीनीस्तरपर,छोटेकस्बोंऔरशहरोंमेंतकरीबनहरस्कूलअपनेसालानासमारोहमेंकमसेकमएकनाटककाप्रदर्शनकरताहै।स्थापितथियेटरसमूहोंकेकेसाथकुछऐसेसमूहभीहैंजोपूरीनिष्ठासेबच्चोंकेसाथऔरउनकेलिएकामकररहेहैं।उन्होंनेकहाकि30-35सालकेछोटेइतिहासकेबावजूदजमीनीस्तरपरहोरहीघटनाओंपरगंभीररूपसेकामकरनेवालेबच्चोंकेथियेटरोंकीतादादतेजीसेबढ़रहीहै।लतीफनेकहाकिअपनेशुरूआतीवर्षोंमेंबालथियेटरकाल्पनिककथाओंऔरबच्चोंकेपरिधानोंकेलिएजानेजातेथेलेकिनमहिलासशक्तिकरण,लैंगिकरूढ़िवादिताऔरसामाजिकन्यायपरकामकरनेसेइनकेविषयोंमेंपरिपक्वताआईहै।बच्चोंकीअबखुदकीसोचविकसितहोनेलगीहैऔरउन्हेंपेशकरनेकेलायकसमझाजानेलगाहै,उन्होंनेथियेटरकेमाध्यमसेयेसंदेशदियाहै।खतानाकहतेहैं,"बालथियेटरअपनीपुरानीपरंपराकेबिल्कुलउलटदौरसेगुजररहेहैं।हमनेमहसूसकरनाशुरूकरदियाहैकिबच्चोंकीजिंदगीबड़ेलोगोंसेबिल्कुलअलगनहींहै।उनकेअपनेमुद्दे,परेशानियांऔरविचारबिंदूहैं।वेभीअपनेमतप्रकटकरनेयोग्यहैं।वेपूरीतरहखासहैं।"इसबदलावकाएकसबूतजश्नएबचपनअंतर्राष्ट्रीयरंगमंचमहोत्सवहैजिसमेंहिंदी,अंग्रेजी,असमी,मलयालमऔरबंगालीसमेत23थियटेरप्रोडक्शन्समें500सेज्यादायुवाऔरव्यस्ककलाकारहिस्सालेरहेहैं।नौदिवसीयमहोत्सवमेंरविवारकोखत्महुएश्रीलंकाकेरेडएप्पलइंटरनेशनलथियेटरकेएकस्टेजप्ले"प्यूबर्टी"मेंबालिकाओंकीबढ़तीउम्रकेबारेमेंदिखायागया।इसकेअलावाचंडीगढकेविंगथियेटरअकादमीऔरविवेकहाईस्कूलकानाटक"शीस्टुडअप"भीमहिलासशक्तिकरणऔरलैंगिकरूढ़िवादिताकेइर्द-गिर्दघूमताहै।अब्दुललतीफखतानाकासुझावहै,"हमारादेशकाफीबड़ाहै,लिहाजायहांकोईएकसंस्थानयासंगठनतेजीसेबदलावनहींलासकता।हमेंएकसमाजकीतरहनीतिगतबदलावलानेचाहिए,जिन्हेंराज्योंद्वाराअमलमेंलानेकीजरूरतहै,ड्रामाऔरथियेटरकोस्कूलोंकेपाठ्यक्रमकाहिस्साबनानाचाहिए।"