मुंबई,स्मिताश्रीवास्तव।हरराष्ट्रकेपासअपनीराजनीतिक,धार्मिकऔरसामाजिकपरंपराओंकेअनुरूपमनोरंजनकेसाधनहोतेहैं।हमारेदेशमेंरंगमंचविशेषमहत्वरखताहै।रंगमंचनेस्वतंत्रताकीअलखजगानेमेंभीमहत्वपूर्णभूमिकाअदाकीथी।यहीकारणहैकिआजभीउनकामंचनलगातारजारीहै...
1857केस्वतंत्रतासंग्रामकेबादलगभगएकदशकतककईनाटकलिखेगए,लेकिनइनमेंदोनाटकविशेषरूपसेउल्लेखनीयहैं।इनमें1860मेंपहलामराठीनाटक‘थोरलेमाधवरावपेशवे’मानाजाताहै।विनायकजनार्दनकीर्तनेद्वारालिखितयहनाटकअप्रत्यक्षरूपसेउसराजनीतिककदमकीओरकेंद्रितथा,जिसकीवजहसे1857कीलड़ाईमेंशिकस्तकासामनाकरनापड़ाथातोवहींसमकालीनविषयऔरविद्रोहकीभावनासेओतप्रोतपहलानाटक,जिसनेभारतीयोंऔरअंग्रेजोंदोनोंकोहिलाकररखदियाथा,वह‘नील-दर्पण’था।दीनबंधुमित्राद्वाराउसीवर्षलिखेगएइसबांग्लानाटकमेंविद्रोहकीअंतर्निहितभावनाव्यक्तकीगईथी।जबइसनाटककामंचनलखनऊमेंहुआतबकुछअंग्रेजइतनेनाराजहोगएकिउन्होंनेमंचपरजाकरकलाकारोंकोपीटदिया।बादमेंइसनाटककोप्रतिबंधितकरदियागया।यहपहलामौकाथाजबस्वतंत्रतासेनानियों,समाजसुधारकोंऔरनाटककारोंनेस्वतंत्रताकेसमानउद्देश्यकेलिएहाथमिलाया।फिर‘समुद्रदर्पण’(दमिररआफदसी)नेब्रिटिशजहाजमालिकोंद्वारानाविकोंकेशोषणकाविरोधकिया।‘चकरदर्पण’मेंअसमकेचायश्रमिकोंकेशोषणकेखिलाफएकनाराथा।‘गायकवाडदर्पण’नेबड़ौदाकेमहाराजाकोएकब्रिटिशअधिकारीकोजहरदेनेकेझूठेआरोपमेंफंसाकरउत्पीड़नऔरप्रतिशोधपरध्यानकेंद्रितकिया।तबरंगमंचविरोधकरनेवविचारोंकेप्रसारकाशक्तिशालीमाध्यमबनगयाथा।
छद्मसंदेशोंसेभरीव्याख्या
अंग्रेजोंनेउनकेशासनकेविरुद्धरंगमंचकेउपयोगकीजांचकरनेकेलिएअंतत:29फरवरी,1876कोनाटकीयप्रदर्शननियंत्रणअध्यादेशपारितकिया।इसकेतहतकिसीनाटकमेंभारतमाताऔरआजादीजैसेशब्दोंपररोकलगादीगई।इसविधेयककीवजहसेसेंसरशिपकीतलवारअबउननाटककारोंकेसिरपरलटकरहीथीजोअपनेनाटकोंकेमाध्यमसेक्रांतिलानाचाहतेथे।उन्होंनेदूसरेमाध्यमोंकोखोजनाशुरूकिया।उन्होंनेपायाकिउनकेउद्देश्यकीपूर्तिकेलिएशास्त्रीयसंस्कृतनाटकऔरलोकवपारंपरिकरंगमंचकीपुनव्र्याख्याकरनासुरक्षितहोगा।समकालीननाटककारोंनेछद्मरूपमेंसंदेशभेजनेकेलिएप्राचीनशास्त्रीयसंस्कृतकेनाटकोंकोचुनाऔरउनकीपुनव्र्याख्याकी।इसपरअंग्रेजकोईआपत्तिनहींउठासकतेथे,क्योंकियेहिंदुस्तानकीसांस्कृतिकविरासतथे।‘महाभारत’,‘रामायण’,जैसेमहाकाव्यऔर‘अभिज्ञानशकुंतलम’,‘मुद्राराक्षस’और‘मृच्छकटिकम’कीउससमयकीसामाजिकऔरराजनीतिकपरिस्थितिकेमुताबिकव्याख्याकीगई।
गीतोंसेहोतेथेसंदेशप्रेषित
एकऔरनाटककार,जिनकेकामकीसमकालीनमाहौलकेअनुसारपुनव्र्याख्याकीगई,वहथेविशाखदत्त।उन्होंनेअपनेनाटक‘मुद्राराक्षस’केजरिएअंग्रेजोंकेखिलाफएकता,संप्रभुताऔरविद्रोहकासंदेशदिया।‘मुद्राराक्षस’उसभारतीयराजाकीकहानीथीजिसनेएकविदेशीविजेताकोहराकरभगादियाथा।संस्कृतकेसबसेमहाननाटकोंमेंसेएक‘मृच्छकटिकम’भीहै।राजनीतिऔरचतुराईसेभरायहनाटकएकगरीबचरवाहेद्वाराराज्यजीतनेकेबारेमेंहैजोभारतीयोंकेलिएप्रेरणाकाएकबड़ास्रोतथा।संदेशोंकोरेखांकितकरनेकेलिएइननाटकोंमेंगानोंऔरकविताओंकाप्रयोगहोताथा।
लोकजागृतिकायुग
बहरहाल,हिंदीमेंनाटकोंकायुगभारतेंदुहरिश्चंद्रकेजमानेसेमानाजाताहै।उन्होंनेसमकालीनभारतीयसामाजिक,धार्मिक,राजनीतिक,आर्थिकऔरसांस्कृतिकजीवनकोआधारबनाकरउसकीरचनाकी।इनमें‘अंधेरनगरी’,‘भारतदुर्दशा’काउल्लेखआवश्यकहै।इसकेकथानककेपहलेअंकमेंप्राचीनगौरव,पारस्परिकफूटऔरकलहकेफलस्वरूपयवनोंकेभारतआगमनऔरभारतमेंअंग्रेजीराज्यकीस्थापनाऔरआर्थिकशोषणकावर्णनथातोदूसरेअंकमेंदीनहीनभारतअपनीदुखगाथासुनातेहुएमूर्छितहोजाताहै।इसीप्रकारआगेबढ़तेहुएछठवेंअंकमेंभारतभाग्यअचेतपड़ेहुएभारतकोजगानेकीकोशिशकरताहै।कुलमिलाकरजनताकोप्रोत्साहितकरनेकेलिहाजसेयहनाटकअपनेआपमेंपर्याप्तथा।
प्रतिबंधोंकेबीचफैलाईजागरूकता
1890केबादऐतिहासिकनाटकोंकोअलंकारिकरूपमेंप्रस्तुतकियागया।पौराणिकचीजेंराजनीतिकविरोधव्यक्तकरनेकेलिएप्रचलितहोगईंताकिराजनीतिकसंदेशसेंसरशिपसेबचसकें।बंगालमेंगिरीशचंद्रघोष(अभिनेता,लेखकऔरग्रेटनेशनलथिएटरआफकलकत्ताकेप्रबंधकऔरबंगालीरंगमंचकीमहानहस्तियोंमेंशुमार)ने‘सिराजुद्दौला’(1906)और‘मीरकासिम’(1907)कालेखनऔरनिर्माणकिया।यहचित्रणनतोऐतिहासिकथानहीसमकालीनफिरभीदर्शकोंकोसंदेशमिला।
खोखलीमान्यताओंपरप्रहार
एकअन्यनाटककारजिन्होंनेभारतकेइतिहासमेंसमकालीनबंगालकेदबावोंऔरतनावोंकोखोजा,वहहैंडी.एल.राय।‘राणाप्रताप’(1905),‘मेवाड़पाटन’(मेवाड़कापतन,1908)और‘शाहजहां’(1908)मेंउन्होंनेस्वतंत्रताकोबनाएरखनेकेलिएराजपूतोंकासंघर्षप्रदर्शितकिया।उन्होंनेसंदेशदियाकिभारतीयराजनीतिकरूपसेतभीस्वतंत्रहोसकतेहैं,जबवेसामंतीमूल्योंऔरमरणासन्नसामाजिकप्राथमिकताओंकोत्यागें।उन्होंनेसमाजकेभीतरजातिव्यवस्थाकोभीशोषणकीवजहकहा।बंगालकालोकप्रियलोकरंगमंचजात्राभीराजनीतिकविरोधमेंपीछेनहींरहा।इसकेसबसेप्रसिद्धकलाकारमुकुंददासनेऐतिहासिकनाटकोंकेमाध्यमसेराष्ट्रवादकाप्रचारकरनेकेलिएजात्रारूपकाप्रयोगकिया।महाराष्ट्रमेंभीदेशमेंउबलतासियासीमाहौलमंचपरप्रतिबिंबितकियागयाथा,विशेषरूपसेलोकमान्यतिलककेशिष्यकृष्णाजीप्रभाकरखाडिलकरद्वारालिखितनाटक‘कीचकवध’(1907)मेंसमकालीनराजनीतिकेआलोकमेंमहाभारतकेएकअध्यायकीव्याख्याकीऔरनिरंकुशशासक(ब्रिटिशभारतकेवायसराय)लार्डकर्जनकोनिशानाबनाया।यहनाटककईवर्षकेलिएप्रतिबंधितकरदियागयाथा।
क्षेत्रीयरंगमंचनेपकड़ाजोर
20वींशताब्दीकीशुरुआतमेंजबस्वतंत्रतासंग्रामनेगतिपकड़ीतोपूरादेशक्रांतिकीभावनासेभरगया।स्वतंत्रतासंघर्षमेंशिक्षितमध्यमवर्गसक्रियरूपसेशामिलहुआऔरअपनासंदेशपहुंचानेकेलिएउन्हेंरंगमंचकीमहत्ताकाएहसासहुआ।तबतकनाटककोविशुद्धरूपसेआत्मअभिव्यक्तिकेशक्तिशालीमाध्यमकेरूपमेंदेखाजाताथा।इसबदलावमेंप्रख्यातनाटककारख्वाजाअहमदअब्बासकीअहमभूमिकारही।वहींबंगालमेंमन्मथराय,शंभुमित्रनेसामाजिकसक्रियताकेरंगमंचकीशुरुआतकी।1930केदौरमेंराजनीतिकस्थितिकाविरोधकरनेवालेकुछलोगोंमेंसेएकमन्मथरायथेजिन्होंनेराजनीतिकसमस्याओंकोउजागरकरनेवालेहिंदूकिंवदंतियोंपरमंचनकिया।उनका‘कारागार’नाटकभगवानकृष्णकेजेलमेंजन्मपरआधारितथा।हालांकिबादमेंयहभीप्रतिबंधितकरदियागयाथा।कईक्षेत्रीयशौकियाथिएटरआंध्रनटमंडल,बांबेमेंगुजरातसाहित्यसंघ,इंडियनथिएट्रिकलग्रुपऔरमद्रासमेंसेवासंघजैसेकईक्षेत्रीयशौकियारंगमंचसमूहोंनेइसआंदोलनमेंसक्रियरूपसेभागलियाऔररंगमंचसभागारोंसेसड़कोंपरआगया।
बनाविरोधकावाहन
हालांकिअंग्रेजोंकेनिर्ममदमननेभारतमेंरंगमंचकोभयभीतकरदिया।बुद्धिजीवियोंकेसमूहोंद्वारानवजागृतराष्ट्रवादकासंदेशदेतेहुएनएनाटकलिखनेऔरप्रदर्शनकरनेकेएकयादोप्रयासहुए,लेकिनउन्हेंभीदबादियागया।पिछलीसदीकेतीसरेदशकमेंएकठहरावकेबाद,भारतीयपरिदृश्यपरएकनईशक्तिकेरूपमेंमाक्र्सवादउभरनेकेसाथहीविरोधकेएकवाहककेरूपमेंरंगमंच1940मेंफिरसेजीवंतहोगया।आजभीरंगमंचअपनीपूरीजिजीविषाकेसाथअपनायोगदानदेनेमेंसतत्है।