घास-फूस को न समझें बेकार, ये बन गया रोजगार

रतनचंदेल,रोहतक:

जंगलमेआमतौरपरकईतरहकीघास-फूसउगआतीहै,जिसेबेकारसमझाजाताहै।इसीजंगलीघास-फूससेरोहतकमेंएकव्यक्तिनेअपनारोजगारखड़ाकरलियाहै।वेइनसेखूबसूरतमूढ़ेतैयारकरतेहैं।शॉपिगमॉलकेमुकाबलेइनकेबनाएमूढ़ोंकेरेटभीआधेसेकमहैं।यहांहमबातकररहेहैंनईअनाजमंडीकेबाहरझोपड़ीबस्तीमेंरहनेवालेकारीगररामाकी।जोघास-फूसमानेजानेवालेसरकंडोंसेआकर्षकमूढ़ेतैयारकररहेहैं।रामाबतातेहैंकियहकार्यउन्होंनेबाप-दादासेसीखाथा।उनकाकहनाहैकिहाथकाहुनरहोतोकिसीभीपरिस्थितिमेंइंसानकमाकरखासकताहै।अपनेइसीहुनरकोउन्होंनेरोजगारकाजरियाबनालियाहैऔरलॉकडाउनमेंभीमूढ़ेबनानेकाउनकाकामनिर्बाधगतिसेचलरहाहै।उधर,घास-फूसकेरूपमेंउगनेवालेयेसरकंडेअकसरजमीनकेभीतरसेअनेकपोषकतत्वोंऔरपानीकोखींचलेतेहै,जिससेस्वस्थपेड़-पौधोंकाजीवनखतरेमेंआजाताहै।ज्यादातरलोगइनकोजंगलीघास-फूससमझकरजलाभीदेतेहैं।इनसरकंडोंकोफर्नीचरयामूढ़ेकेरूपमेंप्रयोगकरनेसेअच्छेपेड़पौधोंकेजीवनवपर्यावरणकोहोनेवालाखतराभीकमहोरहाहै।गुजरातमेंदादा-परदादाबनातेथेमूढ़े

वर्तमानमेंरोहतकमेंरहनेवालेरामाबतातेहैंकिउनकेदादा-परदादागुजरातमेंरहतेथे।वहींपरउन्होंनेसरकंडोंसेमूढ़ोंकोतैयारकरनाशुरूकियाथा।इसकलाकोउन्होंनेअपनेबच्चोंकोसिखाया।इसीकलाकोआजवेआगेबढ़ारहेहैंऔरपरिवारकाआयकाजरियाबनालियाहै।रामाखुदअनपढ़हैंलेकिनअपनेबच्चोंकोपढ़ारहेहैं।सरकंडोंसेमूढ़ाबनानेकाउनकापुस्तैनीकार्यहै।आसानीसेमिलजातेहैंसरकंडे

उनकोमूढ़ेतैयारकरनेकेलिएसरकंडोंकीजरूरतहोतीहै।यहांनहर,तालाबयाबंजरभूमिपरकाफीसंख्यामेंसरकंडेमिलजातेहैं।हालांकिइसकेलिएउनकोकईबारदूर-दूरतकभीजानापड़ताहै।सरकंडोंकीकटाईकरतेसमयजहरीलेसांपआदिकाखतराभीरहताहै।वहांसेकाफीसंख्यामेंसरकंडोंकोकाट-छांटकरयहांलातेहैं।उसकेबादउनसेमूढ़ेबनानेकाकार्यकरतेहैं।मूढ़ेबनानेमेंतारवरस्सीआदिकाभीप्रयोगकरतेहैंहै।काफीटिकाऊहोताहैमूढ़ा:

सस्ताहोनेकेसाथसाथसरकंडोंसेबनेयेमूढ़ेकाफीटिकाऊभीहोतेहैं।येऔसतनलगभगतीनसालतकआसानीसेप्रयोगमेंलायाजासकतेहैं।देखरेखबेहतरहोनेपरइसकीउम्रऔरअधिकभीहोसकतीहै।वहीं,जिनलोगोंकेपासघरोंमेंकमजगहहै,उनकेलिएफायदेमंदसाबितहोतेहैं।कमजगहमेंहीइनकोरखाजासकताहै।वजनमेंभीयहकाफीहल्केहोतेहैं।इनकेदामभीलगभग200रुपयेप्रतिमूढ़ाहै।